अक्टूबर माह में प्रदेश की त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ने प्रदेश में निवेश के लिए बड़ा जलसा किया था। देश भर के बडे उधोगपतियों को बुलाने का दावा किया गया था। हालांंकि बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि तो पहुंंचे लेकिन अंबानी ,अडाणी समेत बड़ी संख्या में बडे उधोगपति पीएम मोदी के आने के बावजूद अपनी उपस्थिति दर्ज कराने भी नहीं पहुंंचे।
सरकार का दावा था, की प्रदेश के विभिन्न सेक्टरों में सरकार को लगभग 1 लाख 25 हजार करोड़़ के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। जिसे सरकार ने अपनी बडी उपलब्धी बताया था। सरकार ने दावा तो बड़े निवेश का कर दिया लेकिन आंकडों की माने तो कुल प्रस्तावों का 8 से 10 प्रतिशत भी नहीं आया है। सरकार दावा कर रही है की लगभग 10 हजार करोड़ के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है। हालांकि सरकार के पास लैंड बैंक की कमी है और उधोग के लिए सरकार प्रदेश के विभिन्न इलाकों में लैंडबैंक बनाने की कोशिशों में जुटी हैंं। सरकार अब निजी भूमि स्वामियों से भी भूमि खरीदने की बात कर रही है। ताकि उधोगों की जमीन की जरूरत को पूरा किया जा सके।
हालांंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री इसी बात को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। की पिछले 18 सालों में प्रदेश में 40 हजार करोड़ का निवेश आया और हमारी सरकार ने 4 महिने में ही 12 हजार करोड़ का निवेश प्रदेश में ला दिया है। हालांंकि उनके अनुसार आगे भीी निवेश आता रहेंंगा ।